काट दो उन धागों को जो केवल बचपन में दिखा करते थे,
और मैं उन्हें कच्चे धागे समझ कर सोचता था, कल काट दूंगा ।
वो कल आज में बदल गया हैं,
और वो कच्चे धागे अभी भी उतने ही कच्चे हैं ।
बस फर्क सिर्फ इतना हैं कि मेरे बाज़ुओ में उन्हें काटने के लिए जो जज़्बा होना चाहिए,
वो उन कच्चे धागों से भी कच्चा हैं ।
और मैं उन्हें कच्चे धागे समझ कर सोचता था, कल काट दूंगा ।
वो कल आज में बदल गया हैं,
और वो कच्चे धागे अभी भी उतने ही कच्चे हैं ।
बस फर्क सिर्फ इतना हैं कि मेरे बाज़ुओ में उन्हें काटने के लिए जो जज़्बा होना चाहिए,
वो उन कच्चे धागों से भी कच्चा हैं ।