एक बार फिर मुझे हारना हैं ।
जीत का पल छोड़, उसे पाने की चाह में युग बिताना हैं ।
ये हार जिससे दुनिया करती हैं नफरत, को उन सभी जीतों से ऊपर लेकर जाना हैं ।
एक बार फिर मुझे हारना हैं ।
एक बार फिर मुझे उस गड्ढे में धकेल दो, क्यूंकि मेरा निशाना वहाँ से बड़ा पक्का लगता हैं ।
वहाँ से कंकर मुझे पत्थर, और पत्थर पहाड़ जितना बड़ा दिखता हैं ।
निशाना पक्का लगाने के बाद भी मुझे उसी गड्ढे में ही जीवन बिताना हैं ।
एक बार फिर मुझे हारना हैं ।
जीत का पल छोड़, उसे पाने की चाह में युग बिताना हैं ।
ये हार जिससे दुनिया करती हैं नफरत, को उन सभी जीतों से ऊपर लेकर जाना हैं ।
एक बार फिर मुझे हारना हैं ।
एक बार फिर मुझे उस गड्ढे में धकेल दो, क्यूंकि मेरा निशाना वहाँ से बड़ा पक्का लगता हैं ।
वहाँ से कंकर मुझे पत्थर, और पत्थर पहाड़ जितना बड़ा दिखता हैं ।
निशाना पक्का लगाने के बाद भी मुझे उसी गड्ढे में ही जीवन बिताना हैं ।
एक बार फिर मुझे हारना हैं ।
Speechless..
ReplyDeleteAbe ye kab se shuru kr diya?
ReplyDeleteBas man ke vichaar..kaagaz par udel diye..
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